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Showing posts from 2017

विजया दशमी दशहरा तात्विक सत्संग

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दशहरा तात्विक सत्संग:संत श्री आशारामजी बापू | Vijayadashmi Dussehra Tatvik Satsang |Rishi Darshan

पाक. और सुरक्षा के क्षेत्र में मोदी माइंड पढ़ने के लिए ये विडियो अवस्य देखे .

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FBI chif ko pad se kyo haya RSTV Vishesh - May 11, 2017

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विवेक विचार : संत श्री आशाराम बापू सत्संग

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द आइडियाज ऑफ इंडिया

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        “क्या आपको पता है कि ईसा पूर्व 800 साल पहले वैदिक काल के पुजारी तथाकथित पाइथागोरियन थ्योरम का इस्तेमाल अग्निवेदी तैयार करने में किया करते थे?” [i] इसलिए अमेरिकन फील्ड्स मेडल विजेता गणितज्ञ डेविड ममफोर्ड की पुस्तक मैथेमेटिक्स इन इंडिया का अध्ययन शुरू करें जिसे एक अन्य लेखक गणितज्ञ किम प्लोफकर ने पूरा किया है.   भारत में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में उपरोक्त सवाल का जवाब होगा - नहीं.      ममफोर्ड ने लिखा है कि पाइथागोरस थ्योरम को तार्किक तरीके से  Baudhayana’s theorem यानी ‘बौधायन का प्रमेय’ कहा जाना चाहिए क्योंकि बौधायन ने ही इस Numerical theory के नियम लिखे . आप पूछ सकते हैं- कौन बौधायन  ? "Idea of India को लेकर भारत में बहुत बोला जाता है लेकिन ideas of India के बारे बहुत कम बातें होती हैं।"      समस्या यहीं होती है। Idea of India को लेकर भारत में बहुत बोला जाता है लेकिन ideas of India (प्रसंगवश बौधायन, प्राचीन भारत में एक विद्वान तपस्वी थे) के बारे बहुत कम बातें हो...

गुरु ज्ञान अवं सिद्धातों को प्रधानता दे के चलने वाले सदशिष्य - डी जी वंजारा .

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    आज में गुरूजी के वो सदशिष्य के बारे में लिखने जा रहा हु. जिसके कारनामो की आज गुजरात ही नहीं पर पूरा देश सराहना कर रहा हे . देश के  युवा अवं हरेक वो शख्स जो सुरक्षा सेवा से जुड़ा हो वो आज उसे अपना आदर्श मानते हे . जिन्होंने गुजरात को दुशारा कश्मीर बनने से रोका . जी हा में बात कर रहा हु डी जी वंजारा की जिसका पूरा नाम " डाह्याजी गोबरजी वंजारा " . हाल कुश ही दिनों में वंजाराजी ने बापूजी से मुलाकात की ये हम जानते हे , पर क्या हम ये जानते हे  जो कई दशको से बापूजी के साधक हे , जेल अपनी कुटिया में बापूजी की तसवीर साथ रखते थे , जब वो साबरमती जेल में थे तब हमेशा मोटेरा आश्रम से फल फुल दूध जो कुश भी भेजा जाता तो वो प्रसाद समजकर ग्रहण करते और उसके वो आग्रही थे . एक बार रिपोटर के पूछने पर कहा था " वो अख़बार या TV नहीं देखते बल्कि अपने गुरु बापूजी के सत्संग वाणी से प्रेरणा मिलती हे " अपने ७-८ साल जेल के दोरान बापूजी समर्पित  कई कविताये लिखी , जिनमे से एक जो 7-07-2007 को साबरमती जेल से गुरुपूर्णिमा पर लिखी थी " मेने    आज  ...

प्रधानमंत्री जन औषधि योजना

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केंद्र सरकार द्वारा प्रधानमंत्री जन औषधि योजना के तहत आपको सस्ती दवाओं की सुविधा मिल सकती है। इसका एक मात्र उद्देश्य यह है कि कम कीमत पर गरीब और सामान्य परिवार के लोगो को दवा पहुचाना। साथ ही यह दवा के क्षेत्र में व्यापार करने वालो के लिए कम खर्च पर एक अच्छी योजना भी है । हम आपसे यह कहे कि बाजार में मेडिकल स्टोर पर बिकने वाली दवाइयों पर साठ से सत्तर फीसदी के कम कीमत पर आपको दवा मिल सकती है। तो आप जरूर जाना चाहेगें यह कैसे हो सकता है। अहमदाबाद कि रहने वाली हितेशरि कि जन औषधि केंद्र का दुकान है और यह लगभग एक वर्ष से अपना यह स्टोर चला रही है। वे कहती है कि ग्राहक काफी खुश है। वे सामने से आकर दवा के गुणवक्ता के बारे में बताते है कि यहाँ कि दवा खाने से मेरा रोग खत्म हो गया है। वही वह यह भी कहती है कि जो मरीज एक दवा लेकर जाता है वह दुबारा भी आता है। दवा भी समय पर हमें मिल जाती है। वही यहाँ दवा लेने वाले ग्राहक सरकार के इस योजन काफी खुश है और कहते है की हमें कम दाम पर अच्छी दवा मिल रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यह बहुत अच्छा कदम उठाया है। हम काफी ...

चलो फिर याद करे उन वीरो को जो वतन के वास्ते हस्ते हस्ते दफन हो गए .

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१. भगत सिंह भगत सिंह का जन्म २७ सितंबर १९०७ को हुआ था। उनके पिता का नाम सरदार किशन सिंह और माता का नाम विद्यावती कौर था। यह एक सिख परिवार था। अमृतसर में १३ अप्रैल १९१९ को हुए जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड ने भगत सिंह की सोच पर गहरा प्रभाव डाला था। लाहौर के नेशनल कॉलेज़ की पढ़ाई छोड़कर भगत सिंह ने भारत की आज़ादी के लिये नौजवान भारत सभा की स्थापना की थी। काकोरी काण्ड में राम प्रसाद बिसमिलह  सहित ४ क्रान्तिकारियों को फाँसी व १६ अन्य को कारावास की सजाओं से भगत सिंह इतने अधिक उद्विग्न हुए कि पण्डित चन्द्रशेखर आजाद के साथ उनकी पार्टी हिंदुस्तान रिपब्लिक एसोसिएशन  से जुड गये और उसेएक नया नाम दिया हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिक  एसोसिएशन  इस संगठन का उद्देश्य सेवा, त्याग और पीड़ा झेल सकने वाले नवयुवक तैयार करना था। भगत सिंह ने राजगुरु के साथ मिलकर १७ दिसम्बर १९२८ को लाहौर में सहायक पुलिस अधीक्षक रहे अंग्रेज़ अधिकारी जे० पी० सांडर्स को मारा था। इस कार्रवाई में क्रान्तिकारी चन्द्रशेखर आज़ाद ने उनकी पूरी सहायता की थी। क्रान्तिकारी साथी बटुकेश्वर दत्त के साथ मिलक...

स्वामी श्री लीलाशाहजी महाराज का जीवन परिचय .

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    जन्म और बाल्यकाल सिन्धु नदी के तट पर स्थित सिंध प्रदेश (पाकिस्तान) के हैदराबाद जिल्हे के महराब चन्दाइ नामक गांव में ब्रह्म क्षत्रिय कुल में श्री टोपनदास गंगाराम जी का जनम हुवा था। वे गांव के सरपंच थे। साधू संतो के लिए उनके दिल में सम्मान था। उनकी दो पुत्रियाँ थी पर उनको पुत्र नही था। एक बार पुत्र इच्छा से प्रेरित होकर श्री टोपनदास अपने कुलगुरु श्री रतन भगत के दर्शन के लिए पास के गांव तल्हार में गए और वहां पर हाथ जोड़कर अपनी पुत्र इच्छा कुलगुरु को बताई. कुल गुरु ने प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हुवे कहा :- " तुम्हे १२ महीने के भीतर पुत्र होगा जो केवल तुम्हारे कुल का ही नही परन्तु पुरे ब्रह्म क्षत्रिय समाज का नाम रोशन करेगा. जब बालक समझने योग्य हो जाए तब मुझे सोंप देना" संत के आशीर्वाद से, सिन्धी पंचाग के अनुसार संवत १९३७ के २३ फाल्गुन के शुभ दिवस पर टोपनदास के घर उनकी धर्मपत्नी हेमीबाई के कोख से एक सुपुत्र का जनम हुवा. जनम कुंडली के अनुसार बालक का नाम लीलाराम रखा गया। पाँच वर्ष की अबोध अवस्था में ही सिर पर से माता का साया चला गया, तब चाचा और चाची...

मनमे की गहराई में बसी हुई छोटी - बड़ी शंकाओ का समाधान सत्संग ...

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आज कई साधक भाई बहनों के मन में अजीबसे सवालों चल होगे , आपके मन शांति होगी तो आपका पड़ोसी व्यर्थ के तर्क खड़े कर परेशान कर रहा होगा . जैसे की .... ३ साल से ज्यादा समय हो गया अभी तक कोई सुभ संदेश नहीं   ?? बापूजी तो ब्रह्ज्ञानी महापुरुष हे फिर भी ऐसा क्यों      ?? कई नेता बापूजी के पास आते थे आज क्यों नहीं आते     ?? बापूजी कोई चमत्कार क्यों नहीं करते  ???? . etc etc ... इश प्रकार के सवालों हमारे मनमे उठाना या पूछे जाना स्वाभाविक हे ,और कई साधक भाई सत्संग सुमिरन में कम पर व्यर्थ के तर्क में ज्यादा घिरे हुवे हे . पर हमें इन सारे अर्थहिन् सवालों के जवाब न्यूज़ , व्हाट्सउप , फेसबुक के लाइव अपडेट से नहीं मिलेगे . इसके लिए जरुरी हे बापूजी , सुरेशबापजी के सत्संग के श्रवण की , बापूजी ने इन सारे सवालों के उत्तर दिए हुवे ही हे . बस हमें अपनी समज़ विकसित करनी हे जवाब अपने आप मिल जायेगा . चलो इन सारे सवालों को रामायण के द्रष्टान्त से समज़ते जो बापूजी अपने सत्संग में सुनाया करते थे .. रामायण में भी दो ऐसे प्रसंग आते हे जिनमे भगवान श्रीरा...