गुरु ज्ञान अवं सिद्धातों को प्रधानता दे के चलने वाले सदशिष्य - डी जी वंजारा .
जी हा में बात कर रहा हु डी जी वंजारा की जिसका पूरा नाम " डाह्याजी गोबरजी वंजारा " . हाल कुश ही दिनों में वंजाराजी ने बापूजी से मुलाकात की ये हम जानते हे , पर क्या हम ये जानते हे जो कई दशको से बापूजी के साधक हे , जेल अपनी कुटिया में बापूजी की तसवीर साथ रखते थे , जब वो साबरमती जेल में थे तब हमेशा मोटेरा आश्रम से फल फुल दूध जो कुश भी भेजा जाता तो वो प्रसाद समजकर ग्रहण करते और उसके वो आग्रही थे . एक बार रिपोटर के पूछने पर कहा था " वो अख़बार या TV नहीं देखते बल्कि अपने गुरु बापूजी के सत्संग वाणी से प्रेरणा मिलती हे "
अपने ७-८ साल जेल के दोरान बापूजी समर्पित कई कविताये लिखी , जिनमे से एक जो 7-07-2007 को साबरमती जेल से गुरुपूर्णिमा पर लिखी थी
" मेने आज अपनी जेल की कोटरी ही नहीं , आत्म को भी साफ किया हे !
आज मोटेरा में उनके आशीर्वाद के लिए लोग उमड़े हे, हरकोई मेरे गुरु का गुणगान गा रहा हे !
यह वही हे जिनकी वजह से मेरी जिंदगी ही नहीं , कोठरी में भी सूर्य का प्रकाश फ़ैल गया हे ! "
डीजी वंजारा के बारे में जाने :
डीजी वंजारा 1987 बैच के गुजरात के आईपीएस अधिकारी हैं. गुजरात पुलिस में उनकी छवि एनकाउंटर स्पेशलिस्ट की रही है. वे पहले क्राइम ब्रांच में थे और बाद में गुजरात एटीएस (यानी एंटी टैररिस्ट
स्क्वाड ) के मुखिया रहे. उसके बाद पाकिस्तान सीमा से सटी बॉर्डर रेंज के
आईजी रहे. वे 2002 से 2005 तक अहमदाबाद की क्राइम ब्रांच के डिप्टी कमिश्नर
ऑफ़ पुलिस थे. उनकी इस पोस्टिंग के दौरान करीब बीस लोगों का एनकाउंटर हुआ.जो तमाम आंतकी थे, जो भेडियो की तरह गुजरात में रहकर आंतक फेलाना चाहते थे .
डीजी वंजारा का सफर :
- 1980 में डेपुटी सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिसके रूप में पुलिस फोर्स से जुड़े .
- 1987 आईपीएस केडर में प्रमोशन मिला, डीएसपी और एसपी के रूप में कई जिलों में काम किया। सीआईडी में काम के दौरान उन्होंने मजबूत गुप्तचर नेटवर्क खड़ा किया .
- 2002 में अहमदाबाद क्राइम ब्रांच से जुड़े, उस्मानपुरा में समीर खान एनकाउंटर में सक्रीय भूमिका निभाई .
- 2003 में अहमदाबाद सादिक जमाल एनकाउंटर में भूमिका .
- 2004 में अहमदाबाद में इशरत जहां अन्य का एनकाउंटर .
- 2005 में गेंगस्टर सोहराबुद्दीन शेख का एनकाउंटर .
- 2006 में इशरत और सोहराबुद्दीन एनकाउंटर नकली होने के आरोप के बीच 2007 में आईपीएस अधिकारी रजनीश राय ने वंजारा समेत उच्च अधिकारियों को अरेस्ट किये गए . ( एक षड्यंत्र के तहद )
- 2014 में जेल में ही सेवानिवृत्त.
- 2015 में 5 फरवरी को सीबीआई कोर्ट ने इशरत जहां केस में जमानत मंजूर की .
आज गुजरात का हर शक्श ये मानने से इनकार नहीं करेगा की , इन एनकाउंटर को सुनियोजित ढंग से न पार किया होता तो आज भी गुजरात कर्फु , बम - ब्लास्ट , आंतक के सदमे में रहता . जी हा बापूजी ने भी यही कहा हे ' लाखो जिव दाव पे हो और एक को मारना पड़े तो मत खिचकाओ ' .यहाँ पर तो करोडो के जान दाव पे थे .
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